सतत् व्यापक मूल्यांकन का मनोवैज्ञानिक असर
सतत् व्यापक मूल्यांकन का वर्तमान में
यह असर हुआ
कि छात्रों के
बोर्ड एक्जाम में
नम्बर कम आ
रहे हैं, बौद्धिक क्षमता का ह्रास
हो रहा है
और कोई भी
काॅम्पटेटिव इग्जाम पास
नहीं कर पा
रहे हैं ।
जिससे छात्रों में
तनाव बढ़ रहा
है। जिसका असर
उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा
है। आज आवश्यकता है अभिभावकों और
शिक्षकों को समझदारी
से बात करने
की । शिक्षक
पैर्टन की अपेक्षा
शिक्षण विधि पर
ध्यान दें। केवल
व्याख्यान विधि को
ही उपयोग में
ना लें कक्षानुसार एवं पाठ्यानुसार शिक्षण
विधि को उपयोग
में लें ।
ज्यादा जूनियर कक्षाओं
में Story telling विधि
का प्रयोग ज्यादा
करें जिससे छात्रों
को पाठ्य ज्ञान
लम्बे समय तक
याद रहे। जिससे
बौद्धिक क्षमता का
विकास हो।अभिभावक अपने
घर के वातावरण
को मित्रवत् बनायें
जिससे छात्रों का
मानसिक स्वास्थ्य बेहतर
रहे।
Saturday, June 6, 2020
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CONTINUOUS AND COMPREHENSIVE EVALUATION )
शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास से है। छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने माध्यमिक कक्षाओं के लिए 2009-2010 में कंटीन्यूअस एंड काॅम्प्रिहेंसिव इवैल्यूसन (CCE) पैर्टन शुरू किया । जो शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के तहत 6-14 वर्ष के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करे। सतत् से तात्पर्य है कक्षा में पढ़ाते समय एवं पढ़ाने के बाद प्रतिदिन किया जाने वाला मूल्यांकन । जिससे छात्रों में पढ़ने में आने वाली कठिनाइयों का निदान प्रतिदिन किया जा सके।
व्यापक से तात्पर्य है पाठ समाप्ति पर उसके ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक पक्षों का मूल्यांकन ।
सतत् व्यापक मूल्यांकन से तात्पर्य गुणात्मक शिक्षा से ही नहीं है अपितु शिक्षा के साथ-साथ सीखने के भी सभी पक्षों के उद्देश्यों को पूरा करने से है।
1) ज्ञानात्मक पक्ष (Cognative) - ज्ञान, समझ/अवबोध , अनुप्रयोग, विश्लेषण, संश्लेषण, मूल्यांकन
2)भावात्मक पक्ष (Affective) - ग्रहण करना, अनुक्रिया, अनुमूलन, विचारना, व्यवस्थापन, मूल्य समूह का विशेषीकरण
3)क्रियात्मक/मनोगत्यात्मक पक्ष ( Psychomotor) - उद्दीपन, नियंत्रण, कार्य करना, स्वभावीकरण, समायोजन, आदत निर्माण
सतत् व्यापक मूल्यांकन (CCE) पैर्टन को बनाने के उद्देश्य -
1) लर्निंग प्रोसेस को स्टूडेंट फ्रेंडली बनाना
2) सीखने के कठिनाई स्तर को कम करना
3) सीखने में आने वाली कठिनाइयों का निदान करना
4) उपचारात्मक शिक्षण को प्रोत्साहन देना
5) छात्र आत्म-मूल्यांकन पर बल देना
किन्तु आज इस CCE पैर्टन ने छात्रों को कमजोर बना दिया है। आज छात्रों पर किताबों और प्रोजेक्ट का वर्कलोड़ इतना कर दिया है कि गुणात्मक शिक्षा समाप्त हो गयी है। कक्षा 1-8 तक के छात्रों के पाठ्यक्रम को भागों में विभाजित कर दिया गया है और परीक्षा वर्ष में चार बार करा दी गयी है। पहली परीक्षा में आया सिलेबस दूसरी परीक्षा में नहीं आता । बच्चों को सिखाने की अपेक्षा रटाने पर बल दिया जाने लगा। जिसका वर्तमान में यह असर हुआ कि छात्रों के 12th में नम्बर कम आ रहे हैं और कोई भी काॅम्पटेटिव इग्जाम पास नहीं कर पा रहे हैं । जो CCE पैर्टन बच्चों को तनावमुक्त करने के लिए बनाया गया था आज वह भविष्य में आने वाली सफलताओं के लिए समस्या बन गया है।
इस प्रकार की समस्याओं को देखते हुए CBSE के चेयरमैन विनीत जोशी जी ने CCE पैर्टन पर नेशनल साइंटिफिक स्टडी शुरू की है। जिससे CCE पैर्टन में सुधार लाया जा सके और शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर की जा सके । अतः आज आवश्यकता है कि शिक्षक पैर्टन की अपेक्षा शिक्षण विधि पर ध्यान दें। केवल व्याख्यान विधि को ही उपयोग में ना लें कक्षानुसार एवं पाठ्यानुसार शिक्षण विधि को उपयोग में लें । ज्यादा जूनियर कक्षाओं में Story telling विधि का प्रयोग ज्यादा करें जिससे छात्रों को पाठ्य ज्ञान लम्बे समय तक याद रहे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Achieve Success through Time Management
Who does not want to be successful in life? Everyone! Every individual has a desire to be successful. How to achieve success? The ques...
-
हमारे यहाँ Sex education का अभाव है लोगों को इसके विषय में पूर्ण जानकारी नहीं है। क्यों ना कुछ यौन शिक्षा के विषय में कुछ जाना समझा या बताया...
-
शिक्षण के विषय में पढ़िए - "एक कटु सत्य शिक्षण में सबसे ज्यादा कठिनाई बच्चों को पढ़ाने में होती है बड़े बच्चों को तो केवल परामर्शन एवं...
-
जब हम घर की भाषा और मातृभाषा या प्रथम भाषा की बात करते हैं तो इसके अन्तर्गत घर की भाषा, आस-पड़ोस की भाषा आ जाती है। जो बच्चा स्वाभाविक रुप स...
No comments:
Post a Comment